मेरा टेसू यहीं अड़ा खाने को मांगे दही बड़ा, शायद आपको बचपन का गाना याद हो

Agra

( राजीव गुप्ता द्वारा ) आगरा। टेसू और झांझी की कहानी भारत की संस्कृति में बहुत ही महत्वपूर्ण है  जो हम सभी लोगों ने न केवल सुनी है बल्कि उसको गाया भी है । टेसू को शक्तिशाली पांडव भीम का पुत्र कहा जाता है, जिन्होंने चंबल क्षेत्र के एक क्षेत्र पर शासन किया था। किंवदंतियों के अनुसार, जब टेसू ने महाभारत युद्ध के बारे में सुना, तो महान योद्धा ने जाकर इसे देखने का फैसला किया। वह कुरूक्षेत्र जा रहे थे तभी उनकी मुलाकात कृष्ण से हुई, जो एक बूढ़े ब्राह्मण के वेश में थे। कृष्ण नहीं चाहते थे कि वह युद्ध के मैदान में रहे क्योंकि योद्धा राजा हारने वाले पक्ष को जीत दिलाने के लिए जाने जाते थे।
झांझी और टेसू का उत्सव धीरे धीरे विलुप्त हो रहा है परंतु आज भी कहीं ना कहीं उसके कुछ ना कुछ अंश जीवित है। इस अवसर पर टेसू झांझी को लेकर बच्चे गली- मोहल्ले में गीत गाकर (नेग) चंदा एकत्रित करते थे। लड़के टेसू व लड़कियां झांझी लेकर घर घर पहुंचते हैं।

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